शंकराचार्य का दार्शनिक सिद्धांत कहलाता है

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शंकराचार्य का दार्शनिक सिद्धांत कहलाता है?

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शंकराचार्य का दर्शन आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित है। इस दर्शन के अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों स्वरूपों में विद्यमान रहता है। शंकाराचार्य का दार्शनिक सिद्धांत ‘अद्वैत’ कहलाता था। उन्होंने अद्वैत वेदान्त को ठोस दार्शनिक आधार प्रदान किया तथा सनातन धर्म की विभिन्न दार्शनिक धाराओं का एकीकरण किया। ज्ञान और भक्ति की मिलन भूमि पर यह अनुभव किया कि अद्वैत ज्ञान ही सभी साधनाओं की परम उपलब्धि है।

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