पुराणों की संख्या कितनी है

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पुराणों की संख्या कितनी है ?
(A) 20
(B) 16
(C) 18
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(C) 18

पुराण का शाब्दिक अर्थ प्राचीन आख्यान होता है। प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग इसी अर्थ में मिलता है। अथर्ववेद में चारों वेदों के बाद पुराण का उल्लेख हुआ है, जो किसी प्राचीन कथा का नहीं अपितु ग्रंथ का बोधक है। उपनिषदों तथा सूत्रों में भी पुराण शब्द का उल्लेख ग्रंथ के रूप में ही है।
मुख्य पुराण संख्या में 18 हैं – मत्स्य, मार्कण्डेय, भविष्य, भागवत, ब्रह्माण्ड, ब्रह्मवैवर्त, ब्रह्म, वामन, वाराह, विष्णु, वायु, अग्नि, नारद, पद्म, लिंग, गरुङ, कूर्म तथा स्कन्द । इन्हें महापुराण कहा जाता है। इनके अतिरिक्त 18 उपपुराण भी हैं – सनतकुमार, नरसिंह, स्कान्द, शिवधर्म, आश्चर्य, नारदीय, कापिल, वामन, औशनस, ब्रह्माण्ड, वारुण, कालिका, माहेश्वर, साम्ब, सौर, पाराशर, मानीच और भार्गव।

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