मोपला विद्रोह क्या था

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मोपला विद्रोह क्या था?

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मोपला विद्रोह : केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा 1921में स्थानीय जमीदारो एवं ब्रितानियों के विरुद्ध किया गया विद्रोह मोपला विद्रोह कहलाता है। मोपला लोग केरल के मालाबार क्षेत्र में रहने वाले इस्लाम धर्म में धर्मांतरित अरब एवं मलयाली मुसलमान थे। अधिकांश मोपला छोटे किसान या छोटे व्यापारी थे, जो अपनी गरीबी और अशिक्षा के कारण थंगल कहे जाने वाले काजियों और मौलवियों के प्रभाव में थे।मोपला किसान मालाबार के हिन्दू नंबूदरी एवं नायर उच्च जाति,भूस्वामियों के बटाईदार या असामी काश्तकार थे।

  • नंबूदरी और नायर जैसे उच्च जाति के भूस्वामियों को शासन,पुलिस और न्यायालय सं संरक्षण प्राप्त था।
  • मोपला या मोप्पला विद्रोह इसलिए सांप्रदायिक हो गया क्योंकि अधिकांश जमींदार या भूस्वामी हिन्दू थे और काश्तकार मुसलमान थे।
  • मोपला विद्रोह 19वी.शता. में अत्यधिक आत्मघाती हो गया था क्योंकि इन मोपलाओं के मन में यह भावना घर कर गई थी कि जो मोपला लङते हुए हुए मारा जायेगा वह अहदियों की तरह सीधे स्वर्ग जायेगा।
  • 19 वी. शता. में 1836 से 1854 के बीच मोपलाओं के 22 विद्रोह हुए जो मुख्यतःदक्षिणी मालाबार के इर्नाडु और वल्लनाडु तालुकों में हुआ।
  • कुछ इतिहासकारों के अनुसार उन्नीसवीं सदी का मोपला विद्रोह ग्रामीण आतंकवाद का एक विशिष्ट उदाहरण था, जिसकी जङे स्पष्टः कृषि व्यवस्था में थी। यह मोपला विद्रोह का प्रथम चरण था।
  • 1921 ई. में द्वितीय मोपला विद्रोह हुआ जिसके कारणों में कृषिजन्य असंतोष था, लेकिन कालांतर में असहयोग आंदोलन के स्थगित किये जाने पर इस आंदोलन ने सांप्रदायिक, राजनीतिक स्वरूप धारण कर लिया।
  • 1921 में केरल के मालाबार जिले में काश्तकारों ने जमींदारों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, 1920 में मंजेरी में हुए मालाबार कांग्रेस सम्मेलन ने इस आंदोलन को उकसाया।
  • खिलाफत आंदोलन के नेता शौकत अली, गांधी जी और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने मोपला विद्रोहियों का समर्थन किया।
  • 15फरवरी, 1921 को सरकार ने इस क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर खिलाफत तथा कांग्रेस के नेता यू. गोपाल मेनन,पी.मोईनुद्दीन कोया, याकूब हसन तथा के.माधव नायर को गिरफ्तार कर लिया।

मुसलमानों के धार्मिक गुरु तथा स्थानीय नेता अली मुसलियार को गिरफ्तार करने के प्रयास में मस्जिदों पर छापे मारे गये, परिणाम स्वरूप पुलिस को विद्रोहियों के आक्रामक तेवर का सामना करना पङा, कई विद्रोही मारे गये। मोपला विद्रोह की उग्रता को देकते हुए सरकार ने सैनिक शासन की घोषणा कर दी, परिणामस्वरूप मोपला विद्रोह को कुचल दिया गया।

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