महाबलीपुरम के रथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था
महाबलीपुरम के सप्तरथ मंदिर का निर्माण नरसिंह वर्मन प्रथम द्वारा करवाया गया था। महाबलीपुरम के एकाश्मक रथों का निर्माण नरसिंह वर्मन प्रथम के द्वारा करवाया गया था। रथ मंदिरों में धर्मराज रथ, अर्जुन रथ, भीमरथ, नकुल रथ, सहदेव रथ, द्रोपदी रथ प्रमुख थे। सबसे बड़ा धर्मराज रथ तथा सबसे छोटा द्रौपदी रथ है।
महाबलीपुरम का भव्य ‘रथ’ गुफा मंदिर सातवीं और आठवीं शताब्दियों में पल्लव राजा नरसिंह द्वारा निर्मित कराया गया था। इस मंदिर की पत्थर को काट कर की गई शिल्पकारी की सुंदरता पूर्व पल्लव शासकों की कलात्मक रुचि को दर्शाती है। इसे विशेष रूप से इसमें बनाए गए रथों के लिए जाना जाता है (यह मंदिर रथ के आकार का है), मंडप (वन गुफा) के रूप में है जिसमें खुली हवा के विशाल द्वार हैं जिन्हें ‘गंगा के उत्तराधिकारी’ कहा जाता है और इसमें भगवान शिव की महिमा के हजारों शिल्प बनाए गए हैं।
महाबलीपुरम में आठ रथ हैं जिनमें से पांच को महाभारत के पात्र पांच पाण्डवों और एक द्रौपदी के नाम पर नाम दिया गया है। इन पांच रथों को धर्मराज रथ, भीम रथ, अर्जुन रथ, द्रौपदी रथ, नकुल और सहदेव रथ के नाम से जाना जाता है। इनका निर्माण बौद्ध विहास शैली तथा चैत्यों के अनुसार किया गया है अपरिष्कृत तीन मंजिल वाले धर्मराज रथ का आकार सबसे बड़ा है। द्रौपदी का रथ सबसे छोटा है और यह एक मंजिला है और इसमें फूस जैसी छत है। अर्जुन और द्रौपदी के रथ क्रमश: शिव और दुर्गा को समर्पित हैं।