गोधरा कांड क्या है

704 viewsइतिहासआधुनिक भारत
0

गोधरा कांड क्या है?

Changed status to publish
0

27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक कारसेवको से भरी रेलगाड़ी में मुस्लिम(मुल्ले) समुदाय द्वारा आग लगाने से 90 यात्री मारे गए जिनमें सभी लोग हिन्दू बिरादरी से थे। इस घटना का इलज़ाम मुख्य रूप से मुस्लमानों पर लगाया गया जिसके नतीजा में गुजरात में 2002 के दंगे हुए।

केन्द्रीय भारतीय सरकार द्वारा नियुक्त एक जाँच कमीशन का ख़्याल था कि आग दुर्घटना थी लेकिन आगे चलकर यह कमीशन असंवैधानिक घोषित किया गया था। 28 फरवरी 2002 तक, 71 लोग आगजनी, दंगा और लूटपाट के आरोप में गिरफ्तार किये गये थे। हमले के लीये कथित आयोजकों में से एक को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, सोरीन रॉय ने कहा कि बंदी मुस्लिम कट्टरपंथी(आतंकवादी संगठन) समूह हरकत-उल जेहाद-ए-इस्लामी, जिसने कथित तौर पर बांग्लादेश मे प्रवेश करने के लिए मदद की। 17 मार्च 2002, मुख्य संदिग्ध हाजी बिलाल जो एक स्थानीय नगर पार्षद और एक कांग्रेस कार्यकर्ता था,जिशे एक आतंकवादी विरोधी दस्ते द्वारा कब्जे मे कर लिया गया था। एफआईआर ने आरोप लगाया कि एक 1540-मजबूत भीड़ ने 27 फरवरी को हमला किया था जब साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन ने गोधरा स्टेशन छोड़ दिया। गोधरा नगर पालिका के अध्यक्ष ओर कांग्रेस अल्पसंख्यक सयोजक मोहम्मद हुसैन कलोटा को मार्च में गिरफ्तार किया गया। अन्य लोगों को गिरफ्तार हुए पार्षद अब्दुल रज़ाक आंतकवादी और अब्दुल जामेश शामिल थे। बिलाल गिरोह नेता लतीफ के साथ संबंध होने के आरोप लगाया गया था और पाकिस्तान में कई बार दौरा किया है की सूचना मिली थी। आरोप-पत्र प्रथम श्रेणी रेलवे मजिस्ट्रेट पी जोशी से पहले एसआईटी द्वारा दायर की जो 500 से अधिक पृष्ठों की हे गया,जिशमे कहा गया है कि 89 लोगों जो साबरमती एक्सप्रेस के एस -6 कोच में मारे गए थे जिनको चारों ओर से 1540 अज्ञात लोगों के एक भीड़ ने गोधरा रेलवे स्टेशन के निकट हमला किया। 78 लोगों पर आगजनी का आरोप लगाया ओर 65 लोगों पर पथराव करने का आरोप लगाया। आरोप-पत्र में यह भी कहा है कि एक भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, फायर ब्रिगेड को रोका है, और एक दूसरी बार के लिए ट्रेन पर धावा बोल दिया। 11 अन्य लोगों को इस भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया। प्रारंभ में, 107 लोगों का आरोप लगाया गया, जिनमें से पांच की मृत्यु हो गई, जबकि मामला अभी भी अदालत में लंबित था। आठ अन्य किशोरों, को एक अलग अदालत मे सुनवाई की गई थी। 253 गवाहों सुनवाई के दौरान और वृत्तचित्र सबूतों के साथ 1500 अधिक आइटम अदालत में प्रस्तुत किए गए जांच की गई। 24 जुलाई 2015 को गोधरा मामले मुख्य आरोपी हुसैन सुलेमान मोहम्मद को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से गोधरा अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया। 18 मई 2016 को, एक पहले लापता `घटना के षड्यंत्रकारी ‘, फारूक भाना (कटुवा), गुजरात आतंकवादी विरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा मुंबई से गिरफ्तार किया गया। 30 जनवरी 2018, याकूब पटालीया को शहर में बी डिवीजन पुलिस की एक टीम द्वारा गोधरा से गिरफ्तार किया गया था। लेकिन भारत सरकार द्वारा नियुक्त की गई अन्य जाँच कमीशनों ने घटना की असल पर निश्चित रूप से कोई रोशनी नहीं डाल सकी। हालांकि ग्यारह साल बाद भारत की एक अदालत ने मुसलमान बिरादरी के 31 लोगों को इस घटना के लिए दोषी ठहराया।

गोधरा कांड: घटनाक्रम-

 

तारीख घटनाक्रम
27 फ़रवरी 2002 गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में मुस्लिमों द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों हिन्दुओ की मौत हो गई। इस मामले में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
28 फ़रवरी 2002 गुजरातके कई इलाकों में दंगा भड़का जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए।
03 मार्च 2002 गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (पोटा) लगाया गया।
06 मार्च 2002 गुजरात सरकार ने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत गोधरा कांड और उसके बाद हुई घटनाओं की जाँच के लिए एक आयोग की नियुक्ति की।
09 मार्च 2002 पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भादसं की धारा 120-बी (आपराधिक षड्‍यंत्र) लगाया।
25 मार्च 2002 केंद्र सरकार के दबाव की वजह से सभी आरोपियों पर से पोटा हटाया गया।
18 फ़रवरी 2003 गुजरात में भाजपा सरकार के दोबारा चुने जाने पर आरोपियों के खिलाफ फिर से आतंकवाद निरोधक कानून लगा दिया गया।
21 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने गोधरा ट्रेन जलाए जाने के मामले समेत दंगे से जुड़े सभी मामलों की न्यायिक सुनवाई पर रोक लगाई।
04 सितंबर 2004 राजद नेता लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान केद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के आधार पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यूसी बनर्जी की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन किया गया। इस समिति को घटना के कुछ पहलुओं की जाँच का काम सौंपा गया।
21 सितंबर  नवगठित संप्रग सरकार ने पोटा कानून को खत्म कर दिया और अरोपियों के खिलाफ पोटा आरोपों की समीक्षा का फैसला किया।
17 जनवरी 2005 यूसी बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया कि एस-6 में लगी आग एक ‘दुर्घटना’ थी और इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी तत्वों द्वारा लगाई गई थी।
16 मई पोटा समीक्षा समिति ने अपनी राय दी कि आरोपियों पर पोटा के तहत आरोप नहीं लगाए जाएँ।
13 अक्टूबर 2006 गुजरात उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि यूसी बनर्जी समिति का गठन ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है क्योंकि नानावटी-शाह आयोग पहले ही दंगे से जुड़े सभी मामले की जाँच कर रहा है। उसने यह भी कहा कि बनर्जी की जाँच के परिणाम ‘अमान्य’ हैं।
26 मार्च 2008 उच्चतम न्यायालय ने गोधरा ट्रेन में लगी आग और गोधरा के बाद हुए दंगों से जुड़े आठ मामलों की जाँच के लिए विशेष जाँच आयोग बनाया।
18 सितंबर नानावटी आयोग ने गोधरा कांड की जाँच सौंपी और कहा कि यह पूर्व नियोजित षड्‍यंत्र था और एस6 कोच को भीड़ ने पेट्रोल डालकर जलाया।
12 फ़रवरी 2009 उच्च न्यायालय ने पोटा समीक्षा समिति के इस फैसले की पुष्टि की कि कानून को इस मामले में नहीं लागू किया जा सकता है।
20 फरवरी गोधरा कांड के पीड़ितों के रिश्तेदार ने आरोपियों पर से पोटा कानून हटाए जाने के उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। इस मामले पर सुनवाई अभी भी लंबित है।
01 मई उच्चतम न्यायालय ने गोधरा मामले की सुनवाई पर से प्रतिबंध हटाया और सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन की अध्यक्षता वाले विशेष जाँच दल ने गोधरा कांड और दंगे से जुड़े आठ अन्य मामलों की जाँच में तेजी आई।
01 जून गोधरा ट्रेन कांड की सुनवाई अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय जेल के अंदर शुरू हुई।
06 मई 2010 उच्चतम न्यायालय सुनवाई अदालत को गोधरा ट्रेन कांड समेत गुजरात के दंगों से जुड़े नौ संवेदनशील मामलों में फैसला सुनाने से रोका।
28 सितंबर सुनवाई पूरी हुई लेकिन शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगाए जाने के कारण फैसला नहीं सुनाया गया।
18 जनवरी 2011 उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाने पर से प्रतिबंध हटाया।
22 फरवरी विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 31 लोगों को दोषी पाया, जबकि 63 अन्य को बरी किया।
1 मार्च 2011 विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 11 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई।

Changed status to publish
You are viewing 1 out of 1 answers, click here to view all answers.
Write your answer.
Back to top button