बिजोलिया के शिलालेख से प्राप्त होता है
बिजोलिया नगर भीलवाड़ा जिले में स्थित है। महाराणा सांगा के समय सांगा ने खानवा के युद्ध में परमार अशोक की वीरता से प्रभावित होकर बिजोलिया क्षेत्र उन्हें जागीर के रूप में प्रदान कर दिया गया जिसके बाद में स्वतंत्रता तक ये पंवारो की जागीर में ही रहा। बिजोलिया की कोटा से दुरी 85 किलोमीटर, बूंदी से 50 किलोमीटर, चित्तौडगढ से 100 किलोमीटर है। बिजोलिया शिलालेख की खोज पाशर्वनाथ मंदिर से की गई। इस शिलालेख में कुछ स्थानों का प्राचीन नाम का विवरण है:- बिजोलिया – उत्तमादि दिल्ली, दिल्लीमिका, बालोतरा, खेड़ा नागौर, अहिच्छत्रगढ़ सांभर, शाकम्भरी इस शिलालेख को लिखवाने वाले व्यक्ति का नाम गुणभद्र तथा लिखने वाले व्यक्ति का नाम केशव कायस्थ था। उपरमाल के पठार पर स्थित बिजोलिया की प्रसिद्धि वहां स्थित ब्राह्मण और जैन मंदिरों और चट्टानों पर उत्कीर्ण शिलालेखो से भी ज्यादा भारतीय स्वतंत्रता से पूर्व यहाँ हुए किसान आन्दोलन के कारण है, जिसमे विभिन्न प्रकार के 84 करों के लगाए जाने के कारण जमींदार के विरुद्ध स्थानीय किसानो ने आन्दोलन किया था।