अष्टछाप के कवि किसके अनुयायी थे
अष्टछाप, महाप्रभु श्री वल्लभचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ द्वारा संस्थापित आठ भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था, जिन्होंने अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। अष्टछाप की स्थापना 1565 ई• में हुई थी। उनके गीतों के संग्रह को ‘अष्टछाप’ कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ आठ मुद्रायें है। इन कवियोंं में सूरदास प्रमुख थे।
Subhash Saini Changed status to publish