रानी चेन्नम्मा कौन थी
रानी चेनम्मा भारत के कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं। रानी चेन्नम्माका दक्षिण भारत के कर्नाटक में वही स्थान है जो स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का है। चेन्नम्मा ने लक्ष्मीबाई से पहले ही अंग्रेज़ों की सत्ता को सशस्त्र चुनौती दी थी और अंग्रेज़ों की सेना को उनके सामने दो बार मुँह की खानी पड़ी थी। 23 अक्टूबर 1778 को वर्तमान कर्नाटक के बेलगाम जिले के पास एक छोटे से गाँव काकती में लिंगयात परिवार में चेन्नम्मा का जन्म हुआ। ’चेन्नम्मा’ का अर्थ होता है- ‘सुंदर कन्या’. उनके पिता धूलप्पा और माता पद्मावती ने उसका पालन-पोषण पुत्रों की भाँति किया। उन्होंने उसे संस्कृत भाषा, कन्नड़ भाषा, मराठी भाषा के साथ-साथ घुड़सवारी, अस्त्र शस्त्र चलाने और युद्ध-कला की भी शिक्षा दी।
15 वर्ष की आयु में चेन्नम्मा का विवाह कित्तूर के राजा मल्लसर्ज के साथ हुआ। कित्तूर मैसूर के उत्तर में एक छोटा स्वतंत्र राज्य था और पूर्ण संपन्न भी था। उनका एक बेटा भी हुआ, जिसका नाम रुद्रसर्ज रखा। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। कुछ समय बाद ही एक अनहोनी में साल 1816 में राजा मल्लसर्ज की मौत हो गयीऔर राजा की मौत के कुछ समय पश्चात् उनके बेटे की भी मौत हो गयी। राजा और उनके पुत्र की मृत्यु के बाद अंग्रेजो को लगा कि कित्तूर का भविष्य खत्म हो गया है और उन्हें अब कित्तूर आसानी से मिल जाएगा लेकिन रानी ने कसम खाई “जिऊंगी … तो आजाद जिऊंगी” अपने जीते जी कित्तूर को अंग्रेजों को नहीं दूंगी। तब रानी ने एक अन्य बच्चे शिवलिंगप्पा गोद लिया और उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।