धन निष्कासन का सिद्धांत क्या है
भारत में ब्रिटिश शासन के समय, भारतीय उत्पाद का वह हिस्सा जो जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध नही था तथा राजनीतिक कारणों से जिसका प्रवाह इंग्लैण्ड की ओर हो रहा था, जिसके बदले में भारत को कुछ प्राप्त नही होता था, उसे ‘आर्थिक निकास या धन निष्कासन(Drain of Wealth)’ की संज्ञा दी गयी। धन की निकासी की अवधारणा वाणिज्यवादी सोच के क्रम में विकसित हुई। धन निष्कासन के सिद्धांत पर उस समय के अनेक आर्थिक इतिहासकारों ने अपने मत व्यक्त किए। इनमें दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक ‘पावर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इण्डिया’(Poverty and Un-British Rule In India) में सर्वप्रथम आर्थिक निकास की अवधारणा प्रस्तुत की।
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Subhash Saini Changed status to publish