हुमायूं का साम्राज्य विस्तार का इतिहास बताये
हुमायूँ का इतिहास :- बाबर के चार पुत्रों ( हुमायूँ, कामरान, अस्करी और हिन्दाल ) में हुमायूँ सूबसे बङा था। बाबरकी मृत्यु के 4 दिन पश्चात् हुमायूँ 23 वर्ष की आयु में 30 दिसंबर, 1530 को हिन्दुस्तान के सिंहासन पर बैठा। हुमायूँ मुगल शासकों में एकमात्र शासक था, जिसने अपने भाइयों में साम्राज्य का विभाजन किया था। जो उसकी असफलता का बहुत बङा कारण बना। हुमायूँ ने अपने पिता के आदेश के अनुसार कामरान को काबुल एवं कंधार, अस्करी को संभल तथा हिन्दाल को अलवर की जागीर दी। इसके अलावा अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को बदख्शाँ की जागीर दी।
हुमायूँ को वास्तव में कठिनाइयाँ अपने पिता से ही विरासत के रूप में मिली थी, जिसे उसके भाइयों एवं संबंधी मिर्जाओं ने और बढा दिया था। प्रारंभ में बाबर के प्रमुख मंत्री निजामुद्दीन अली खलीफा हुमायूँ को अयोग्य समझकर बाबर के बहनोई मेहदी ख्वाजा को गद्दी पर बैठाना चाहता था। किन्दु बाद में अपना जीवन खतरे में समझकर उसने हुमायूँ का समर्थन कर दिया।
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