प्राचीन भारत
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मार्च- 2021 -2 मार्च
कुषाण वंश का पतन एवं परवर्ती कुषाण शासक
वासुदेव के बाद कुषाणों का इतिहास अंधकारपूर्ण है। सिक्कों से कुछ कुषाण राजाओं के नाम ज्ञात होते हैं। उन्होंने द्वितीय…
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2 मार्च
कुषाण कालीन सिक्कों का इतिहास की स्लाइड
उत्तर-पश्चिम भारत में स्वर्ण सिक्कों का प्रचलन यवन राजाओं ने करवाया तथापि इन्हें नियमित एवं पूर्णरूपेण प्रचलित करने का श्रेय…
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1 मार्च
कुषाण काल में कला एवं स्थापत्य की स्लाइड
कुषाण काल में मथुरा भी कला का प्रमुख केन्द्र था, जहां अनेक स्तूपों, विहारों एवं मूर्तियों का निर्माण करवाया गया।…
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1 मार्च
कुषाण कालीन संस्कृति एवं समाज की स्लाइड
कुषाण काल में भारतीय समाज का मूल ढाँचा अपरिवर्तित रहा। परंपरागत वर्ण व्यवस्था पर विदेशियों के आक्रमण से गंभीर खतरा…
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फरवरी- 2021 -27 फ़रवरी
कुषाण राजवंश की जानकारी के स्रोत की स्लाइड
कुषाण वंश के प्रारंभिक इतिहास की जानकारी के लिये हमें मुख्यतः चीनी स्रोतों पर निर्भर रहना पङता है। चीनी ग्रंथों…
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27 फ़रवरी
नागार्जुनीकोण्डा एवं धामेख का स्तूप
धामेक स्तूप एक वृहत स्तूप है, जो उत्तर प्रदेश राज्य के सारनाथ में स्थित है। यह एक बौद्ध धार्मिक स्थान…
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27 फ़रवरी
अमरावती स्तूप कहाँ स्थित है
स्तूप का शाब्दिक अर्थ है- 'किसी वस्तु का ढेर'। स्तूप का विकास ही संभवतः मिट्टी के ऐसे चबूतरे से हुआ,…
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25 फ़रवरी
सातवाहन वंश की सामाजिक स्थिति और साम्राज्य का विनाश कैसे हुआ
सातवाहन युगीन समाज वर्णाश्रम धर्म पर आधारित था। परंपरागत चारों वर्णों ( ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र ) में ब्राह्मणों का…
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25 फ़रवरी
सातवाहन वंश की आर्थिक और धार्मिक स्थिति क्या थी
सातवाहन राजाओं का शासन-काल दक्षिण में वैदिक तथा बौद्ध धर्मों की उन्नति का काल था। स्वयं सातवाहन नरेश वैदिक (ब्राह्मण)…
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24 फ़रवरी
सातवाहन कालीन स्थापत्य कला, भाषा एवं साहित्य की जानकारी
सातवाहन सम्राटों की धार्मिक सहिष्णुता की नीति से दक्षिण भारत में बौद्ध कला को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिला। इस समय…
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