इतिहास
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अप्रैल- 2021 -13 अप्रैल
चित्तौङ और दिल्ली सल्तनत का इतिहास
रत्नसिंह और अलाउद्दीन खिलजी -रावल समरसिंह के बाद 1302 ई. में रत्नसिंह गुहिलों के सिंहासन पर बैठा। वह समरसिंह का…
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11 अप्रैल
कान्हङदे और अलाउद्दीन खिलजी
कान्हङदे और अलाउद्दीन खिलजी - अमीर खुसरो और बरनी की रचनाओं से तो हमें कान्हङदेव और अलाउद्दीन के आपसी संबंधों…
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11 अप्रैल
जालौर और दिल्ली सल्तनत का इतिहास
जालौर और दिल्ली सल्तनत - जालौर का छोटा सा राज्य चौहनों का महत्त्वपूर्ण केन्द्र रहा था। कीर्तिपाल द्वारा इसको स्थापना…
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10 अप्रैल
रणथंभौर और दिल्ली सल्तनत
रणथंभौर, जयपुर से दक्षिण-पूर्व की दिशा में स्थित है। यहाँ का विशाल दुर्ग एक पथरीले पठार पर, जो कि समुद्र…
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9 अप्रैल
हम्मीरदेव चौहान का इतिहास
हम्मीरदेव चौहान - बागभट्ट के बाद जयसिम्हा रणथंभौर का शासक बना। दिल्ली सल्तनत की स्थिति को देखते हुये यह अनुमान…
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8 अप्रैल
उज्जैन के गुर्जर-प्रतिहार
उज्जैन के गुर्जर-प्रतिहारों ने मंडौर से अपना राज्य-विस्तार शुरू किया था और उनका पूर्वज हरिश्चंद्र नामक ब्राह्मण था। संभव है…
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7 अप्रैल
भङोंच के गुर्जर-प्रतिहार
भङोंच के गुर्जर-प्रतिहार - सातवीं और आठवीं सदी के कुछ दान-पत्रों से पता चलता है कि भङोंच और उसके आसपास…
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5 अप्रैल
गुर्जर-प्रतिहार कौन थे
गुर्जर-प्रतिहार - 8 वीं शताब्दी के प्रारंभ में (लगभग 725 ई. में) गुजरात में एक नये राजवंश की स्थापना हुई।…
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4 अप्रैल
मेवाङ के गुहिल कौन थे
मेवाङ के गुहिल और उसके उत्तराधिकारी - गुहिल, गोह अथवा गुहदत्त आनंदपुर (बङनगर) के अंतिम राजा शिलादित्य का पुत्र था।…
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3 अप्रैल
जैत्रसिंह का इतिहास(1213-1252ई.)
जैत्रसिंह - 13 वीं सदी के आरंभ में मेवाङ के इतिहास में एक नया मोङ आता है। इस समय तक…
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