जैन धर्म
जैन धर्म के अनुसार ज्ञान आत्मा का गुण है। आत्मा ज्ञानमय है, ज्ञानस्वरूप है। ज्ञान एवं ज्ञानी भिन्न माने जाते हैं। ज्ञान को 5 भागों में विभक्त किया गया है।
- मतिज्ञान
- श्रुतिज्ञान
- अवधिज्ञान
- मनःपर्याय ज्ञान
- कैवल्य ज्ञान
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मार्च- 2018 -13 मार्च
जैन धर्म में पांच प्रकार का ज्ञान
जैन धर्म के अनुसार ज्ञान आत्मा का गुण है। आत्मा ज्ञानमय है, ज्ञानस्वरूप है। ज्ञान एवं ज्ञानी भिन्न माने जाते…
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12 मार्च
सल्लेखना क्या है
जैन दर्शन के सल्लेखना शब्द में दो शब्द सत् तथा लेखना आते हैं, जिनका शाब्दिक अर्थ है अच्छाई का लेखा-जोखा…
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12 मार्च
जैन धर्म में पंच(5) महाव्रत
जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पाशर्वनाथ ने चार महाव्रत बताये तथा 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी ने पांचवा महाव्रत …
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12 मार्च
जैन संगीतियां
जैन धर्म में दो सभाएं हुई थी जिनका विवरण इस प्रकार है। प्रथम जैन सभा- समय – प्रथम जैन संगीति…
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11 मार्च
जैन धर्म के अनुसार संसार के 6 द्रव्य
जैन धर्म में भगवान अरिहंत (जिसे ज्ञान प्राप्त हो), सिद्ध (मुक्त आत्माएँ) को कहा जाता है। जैन धर्म इस ब्रह्मांड…
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11 मार्च
जैन धर्म के 24 तीर्थंकर
जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। तीर्थंकर का अर्थ है- तारने वाला अर्थात् जो स्वयं तप के माध्यम से…
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10 मार्च
जैन धर्म के त्रिरत्न
त्रिरत्न एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- तीन रत्न। पालि भाषा में इसे ति-रतन लिखा जाता है। इसे…
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10 मार्च
महावीर स्वामी का जीवन परिचय
महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डग्राम के ज्ञातृक कुल के प्रधान सिद्धार्थ के यहां 540 ई.पू. में हुआ,…
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9 मार्च
जैन धर्म के ग्यारह गणधरों के नाम
गणधर जैन दर्शन में प्रचलित एक उपाधि है।गणधर वह व्यक्ति होता है, जो धर्म के गण को धारण करता है।…
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9 मार्च
जैन दर्शन क्या है
जैन दर्शन प्राचीन भारतीय दर्शन है। इसमें अहिंसा पर अत्यधिक बल दिया गया है।जैन दर्शन में 24 तीर्थंकर हुए हैं,…
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