मुगल काल में हरम क्या था
हरम किसी एक पुरुष की अनेक स्त्रियों के रहने के उस स्थान को कहते हैं जहाँ अन्य मर्दों का जाना वर्जित होता है। यह प्रथा मध्य पूर्व से शुरु हुई और अब पाश्चात्य सभ्यता में इसे उसमानी साम्राज्य से जोड़कर देखा जाता है। हरम शाही महिलाओं के रहने का एक अलग स्थान होता था। प्राचीन काल से ही इसका जिक्र हमें समकालीन स्त्रोतों में मिलता है। 90 हरम अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है छिपा हुआ स्थान। समय के साथ – साथ इसका प्रयोग महिला कक्ष के लिए होने लगा। परसियन भाषा में इस स्थान के लिए जनाना हिन्दी में महल – सरा तथा संस्कृत में अन्तापुरा शब्द का प्रयोग हुआ है। 91 अबुल फजल ने अपनी पुस्तक आईन – ए – अकबरी में इसके लिए स्बीस्थान – ए – इकबाल शब्द का प्रयोग किया। हरम के अन्दर न केवल शंहशाह की बेगम बल्कि शहंशाह की सभी महिला रिश्तेदार रहती थी। मुगल काल में तो 16 वर्ष तक के शंहशाह के लड़के भी हरम के अन्दर ही रहने लगे थे। हरम के अन्दर महिलाओं की संख्या बहुत होती थी क्योंकि हरम में शहंशाह की माँ , हिजड़े आदि भी रहते थे। बहन , पत्नियां , रखैल आदि के अलावा दासियाँ ।
मुगल हरम का सही रूप अकबर से शुरू होता है और जहांगीर के समय में अपने चरम पर पहुंचता है तथा औरंगजेब के साथ ही अपनी पहचान खो देता है क्योंकि इसके बाद मुगल शासन का पतन हो चुका था। मुगल बादशाह कमजोर हो चुके थे। सही रुप से उनके साम्राज्य का आकार सिकुड़ गया था। अब हरम रंगरलियों का अड्डा बन गया था। मुगल काल में अनेक स्थानों पर हरम थे। मुख्य शाही हरम आगरा , दिल्ली , फतेहपुर सिकरी और लाहौर में थे। जहां पर बादशाह और उसके अधिकारी रहते थे। इसके अलावा अहमदाबाद , बहरानपुर , दौलताबाद , मान्छू तथा श्रीनगर में भी हरम स्थापित किए गए थे।
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