वेद क्या हैं और कितने प्रकार के होते है
वेद संसार के प्राचीनतम संस्कृति भाषा में रचे गये ग्रंथ हैं। वेदों की गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ साहित्य में की जाती है। वेद ज्ञान के समृद्ध भण्डार हैं। वेदों के द्वारा हमें सम्पूर्ण आर्य सभ्यता संस्कृति की जानकारी मिलती है। वेदों को अपौरुषेय कहा गया है।
हमारे ऋषियों ने लम्बे समय तक जिस ज्ञान का साक्षात्कार किया उसका वेदों में संकलन किया गया है। इसलिए वेदों को संहिता भी कहा गया है। वेदों की संख्या चार है-ऋग्वेद सामवेद यजुवेद अर्थवेद।
- ऋग्वेद – आयों का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद है। इसमें10 अध्याय और 1028 सूक्त हैं। इसमें छन्दों में रचित देवताओं की स्तुतियाँ है। प्रत्येक सूक्त में देवता व ऋषि का उल्लेख है। कुछ सूक्तों में युद्धों आचार-विचारों का वर्णन है।
- सामवेद – सामवेद में काव्यात्मक ऋचाओं का संकलन है। इसके 1801 मंत्रों में से केवल 75 मंत्र नये हैं शेष ऋग्वेद के हैं। ये मंत्र यज्ञ के समय देवताओं की स्तुति में गाए जाते है।
- यजुवेद – यजुवेद में यज्ञों, कर्मकाण्डों अनुष्ठान पद्धतियों का संग्रह है। इसमें 40 अध्याय है। शुक्ल व कृष्ण यजुवेद के दो भाग हैं।
- अर्थवेद – अन्तिम वेद अर्थवेद में 20 मण्डल 731 सूक्त और 6000 मंत्र हैं। इसकी रचना अथर्व ऋषि द्वारा की गयी थी। इसको अन्तिम अध्याय ईशोपनिषद है जिसका विषय आध्यमिक चिन्तन है।
Subhash Saini Changed status to publish