तुर्कान-ए-चहलगानी क्या है
“तुर्कान ए चहलगानी” गुलाम वंश के दूसरे बादशाह “इल्तुतमिश” (अल्तमश) (1211 से 1236) द्वारा बनाया गया चालीस तुर्क सरदारों का दल था, जिसे बादशाह ने अपने राजतंत्र को बाटने अथवा सहयोग के लिए बनाया था।
- दिल्ली सल्तनत में केवल बादशाह के पास ही सम्पूर्ण सेना की कमान नहीं होती थी। यद्यपि बादशाह के पास खुद की सेना तो थी किन्तु बहुत कम मात्रा में।
- जब भी बादशाह राज्य को बढ़ाने अथवा दूसरे राजा के आक्रमण से सुरक्षा चाहता था तो वह युद्ध के लिए इन तुर्क सरदारों से सेना उधार लेता था।
- इस अमूल्य सहियोग के बदले सरदारों को बादशाह ने राजतंत्र में अच्छा पद देने के लिए “तुर्कान ए चहलगानी” की स्थापना की और उसे कुछ अधिकार दिए।
- कालांतर में “तुर्कान ए चहलगानी” की पकड़ राज्य में मजबूत बनती गई और बादशाह का कद कम हो गया। समय के साथ “तुर्कान ए चहलगानी” ने बादशाह को अपनी कठपुतली बना लिया था और खुद बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय लेना चालू कर दिया।
- कालांतर में “बलबन” जो “तुर्कान ए चहलगानी” में शामिल एक सरदार था उसने इल्तुतमिश के वंशजों से राज्य हथियाकर सत्ता हासिल की और “तुर्कान ए चहलगानी” का दमन/अंत किया।
Subhash Saini Changed status to publish