कलिंग का युद्ध किस किस राजा के बीच हुआ ?
कलिंग का प्रख्यात युद्ध सम्राट अशोक और कलिंग के शासक अनंत नाथन के बीच 261-262 ईसा पूर्व मे भुवनेश्वर से 8 किलोमीटर दक्षिण में दया नदी के किनारे लड़ा गया था।
कलिंग युद्ध के परिणाम निम्नलिखित थे-
- इसमें एक लाख 50 हजार व्यक्ति बंदी बनाकर निर्वासित कर दिये गये, एक लाख लोगों की हत्या की गयी तथा कई लोग मारे गये।
- युद्ध में भाग न लेने वाले ब्राह्मणों, श्रमणों तथा गृहस्थियों को अपने संबंधियों के मारे जाने से बहुत कष्ट हुआ।
- अशोक ने इस भारी नर संहार को स्वयं अपनी आँखों से देखा तो उसको बहुत दुःख हुआ।
- इस प्रकार एक स्वतंत्र राज्य की स्वाधीनता का अंत हुआ। कलिंग मगध साम्राज्य का एक प्रांत बना लिया गया तथा राजकुल का कोई राजकुमार वहां का उपराजा (वायसराय) नियुक्त कर दिया गया। कलिंग में दो अधीनस्थ प्रशासनिक केन्द्र स्थापित किये गये – 1) उत्तरी केन्द्र (राजधानी-तोसलि) 2) दक्षिणी केन्द्र (राजधानी-जौगढ)।
- कलिंग ने फिर कभी स्वतंत्र होने की चेष्टा नहीं की। मौर्य साम्राज्य की पूर्वी सीमा बंगाल की खाङी तक विस्तृत हो गयी। यह कलिंग युद्ध का तात्कालिक लाभ था।
- परंतु कलिंग युद्ध की ह्रदय विदारक हिंसा एवं नरसंहार की घटनाओं ने अशोक के ह्रदय-स्थल को स्पर्श किया और उसके दूरगामी परिणाम हुये। कलिंग युद्ध पर टिप्पणी करते हुए हेमचंद्र रायचौधरी ने लिखा है, मगध तथा समस्त भारत के इतिहास में कलिंग की विजय एक महत्त्वपूर्ण घटना थी।
- इसके बाद मौर्यों की जीतों तथा राज्य-विस्तार का वह दौर समाप्त हुआ जो बिम्बिसार द्वारा अंग राज्य को जीतने के बाद से प्रारंभ हुआ था। इसके बाद एक नये युग का सूत्रपात हुआ और यह युग था- शांति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार का। यही से सैन्य विजय तथा दिग्विजय का युग समाप्त हुआ तथा आध्यात्मिक और धम्मविजय का युग प्रारंभ हुआ।
- इस प्रकार कलिंग युद्ध ने अशोक के ह्रदय में महान् परिवर्तन उत्पन्न कर दिया। उसका ह्रदय मानवता के प्रति दया एवं करुणा से उद्वेलित हो गया तथा उसने युद्ध कार्यों का न करने की प्रतिज्ञा की।
- कलिंग युद्ध के बाद अशोक बौद्ध बन गया और उसने अपने साम्राज्य के सभी उपलब्ध साधनों को जनता के भौतिक एवं नैतिक कल्याण में बांट दिया।
Reference
कलिंग कहाँ स्थित है, कलिंग का युद्ध और परिणाम
IndiaOldDays .com Changed status to publish